Sunday 29 November 2015

हिन्दू-मुस्लिम, सिख-इसाई

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई
कही पे प्रेम कही पे खाई |
कही पे लूट कही लड़ाई ,
कहा है हम सब भाई-भाई |
छल कपट अब खूब भरा है ,...
खोटा भी अब खूब खरा है|
चोर उच्चके सिर सेहरा है ,
ईमानदारी पर लगा पहरा है |
सहिष्णुता कोअसहिष्णुता कहते ,
भोली-भाली जनता को ठगते |
झूठ-मूठ की बात फैलाते ,
अपनी-अपनी झोली भरते |
ऐसा जीवन कहा अब पाओगे ,
अंत समय पछताओगे |
भारत माता की दुर्दशा पर ,
माफ़ी मांगते-मांगते मर जाओगे |
दिल की अदालत तुझे फटकारेगी,
तूझसे गवाह अब नहीं मागेगी|
गुनाह बड़ा फंदा छोटा कहकर,
मौत तुझसे दूर भागेगी |
हे नर ! संभल जा इस जीवन में ,
फिर जनम नहीं ले पाओगे |
यदि अच्छे करम करोगे ,
गाँधी जैसा जीवन पाओगे |
मृत्यु पर्यन्त जीवित रहोगे ,
उपदेशक और उपमा में |
अब ऐसा जीवन नहीं मिलेगा ,
सच में या कल्पना में |
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई
कही पे प्रेम कही पे खाई |
कही पे लूट कही लड़ाई ,
कहा है हम सब भाई-भाई |
छल कपट अब खूब भरा है ,...
खोटा भी अब खूब खरा है|
चोर उच्चके सिर सेहरा है ,
ईमानदारी पर लगा पहरा है |
सहिष्णुता कोअसहिष्णुता कहते ,
भोली-भाली जनता को ठगते |
झूठ-मूठ की बात फैलाते ,
अपनी-अपनी झोली-झोली भरते |
ऐसा जीवन कहा अब पाओगे ,
अंत समय पछताओगे |
भारत माता की दुर्दशा पर ,
माफ़ी मांगते-मांगते मर जाओगे |
दिल की अदालत तुझे फटकारेगी,
तूझसे गवाह अब नहीं मागेगी|
गुनाह बड़ा फंदा छोटा कहकर,
मौत तुझसे दूर भागेगी |
हे नर ! संभल जा इस जीवन में ,
फिर जनम नहीं ले पाओगे |
यदि अच्छे करम करोगे ,
गाँधी जैसा जीवन पाओगे |
मृत्यु पर्यन्त जीवित रहोगे ,
उपदेशक और उपमा में |
अब ऐसा जीवन नहीं मिलेगा ,
सच में या कल्पना में |

Sunday 15 November 2015

तेरा मेरा निर्मल प्रेम

तेरा मेरा निर्मल प्रेम,
जैसे दीया और बाती|
तेरी याद में सावरिया मैं,
लिखूं अब ये पाती |
रूप श्रृंगार मन न भावे,
रह-रह ह्दय शूल समावे|
कौन-कौन दुःख कहूं संघाती,
तेल बिन कहा जले ये बाती|
पपीहा तो पीउ-पीउ पुकारे,
मैं कहते शरमाती|
लाज-शरम सब त्याग,
काश! मैं जोगन बन जाती|
बारह मास बीत गयो,
लिखते - लिखते  पाती|
सुध-बुध अपनी भूल गई,
तेरे ही  गुन  गाती|

Tuesday 10 November 2015

दीदी मेरी जल्दी आओ/दीपावली पर एक रचना

दीदी मेरी जल्दी आओ |
आओ मिलकर दीप जलाओ |
तम से मुझको डर लगता है,
इसको जल्दी दूर भगाओ |
दीदी मेरी जल्दी आओ |
कहा गई बच्चों की टोली,
दीदी मेरी जोर से बोली,
हम सब बन गए हमजोली,
दीदी मेरी कितनी भोली,
दीपावली आई है.
ढेरों खुशियों लाई है.
रंग - बिरंगी फुलझडियो की.
लड़ियाँ हमने सजाई है |


आप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें......

 
 

Wednesday 4 November 2015

आओ कुछ लिखने का प्रयास करें


आओ कुछ लिखने का प्रयास करें |
मन में कुछ नई आस करें |
कुछ तुम कहो कुछ मै कहूँ,
इस तरह बातो की शुरुआत करें,
देश, राजनीति, भ्रष्टाचार,
इसी पर चर्चा बार-बार करें,

आओ कुछ लिखने का प्रयास करें,
नेता भ्रष्ट, भ्रष्टाचारी,
क्यों हम एक दूसरे पर वार करें,
प्यार स्नेह उपमा को
परिभाषित करने का प्रयास करें,
आओ कुछ लिखने का प्रयास करें,
कलम की धार को तेज करें,
कि राजनीति में घसीटने का प्रयास करें,
मक्कारों, गददारों, भ्रष्टाचारियों की,
पोल खोलने का प्रयास करें,
आओ कुछ लिखने का प्रयास करें,
 भाई-भाई कहकर, बंधुत्व का प्यार भरें,
 हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
जाति-वार न अनायास करे,
आओ कुछ लिखने का प्रयास करें |